पिरान कलियर : पिरान कलियर क्षेत्र के रहमतपुर से रतमऊ नदी क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने उप-जिलाधिकारी रूडकी को ज्ञापन सौंपकर खनन पर तत्काल रोक, जांच और दोषियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों ने बताया कि रतमऊ नदी (सेतु) के पास कुछ प्रभावशाली लोग पोकेलैंड मशीनों और बड़े वाहनों (डंपरों) के ज़रिए अवैध खनन कर रहे हैं। इस अवैध गतिविधि से जहां नदी की धारा और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, वहीं गांव की कृषि भूमि भी लगातार क्षतिग्रस्त हो रही है।
स्थानीय ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उन्होंने इस प्रकरण की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज कराई है और संबंधित विभाग से RTI के माध्यम से जवाब भी मांगा गया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर यह खनन किसकी अनुमति से किया जा रहा है।
ज्ञापन में ग्रामीणों ने पांच मुख्य मांगें रखीं —
1️⃣ तत्काल प्रभाव से खनन गतिविधियों पर रोक लगाई जाए।
2️⃣ राजस्व, वन व पुलिस विभाग की संयुक्त टीम बनाकर मौके का निरीक्षण कराया जाए।
3️⃣ स्थायी निगरानी टीम गठित की जाए जो नियमित जांच करे।
4️⃣ यदि किसी को खनन की अनुमति दी गई है, तो उसे सार्वजनिक किया जाए।
5️⃣ भविष्य में इस तरह की अवैध गतिविधियों को रोकने हेतु चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
ग्रामीणों ने उप-जिलाधिकारी से तत्काल कार्रवाई कर दोषियों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
RTI में ग्रामीणों ने पूछा कि:
- खनन की अनुमति किन-किन व्यक्तियों या संस्थाओं को दी गई थी।
- किसने, कब और किस कागज पर अनुमति दी।
- खनन की मात्रा और अवधि का विवरण।
- यदि अनुमति नहीं दी गई तो मशीन और डंपर किसकी मर्जी के बिना चल रहे हैं।
- क्या यह भूमि ग्राम समाज या नदी की भूमि में आती है।
ग्रामीणों ने कहा कि लगातार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की चुप्पी से अवैध खनन करने वालों के हौसले बुलंद हैं। ग्राम रहमतपुर के वसीम ने कहा कि “हमने शिकायतें कीं, वीडियो सबूत दिए, RTI भी डाली — अब जवाबदेही तय होनी चाहिए कि ये खनन आखिर किसकी छत्रछाया में हो रहा है।”
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि रतमऊ नदी क्षेत्र श्रेणी-3 पट्टे के अंतर्गत आता है, जहाँ खनन की अनुमति केवल सरकार या अधिकृत विभाग ही दे सकता है। यदि किसी निष्कासित या निजी स्तर पर पट्टे का उपयोग कर खनन हो रहा है, तो यह खनन नियमों और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का गंभीर उल्लंघन है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस पूरे मामले की पारदर्शी जांच और आधिकारिक स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।