देहरादून : (फरमान मलिक) उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय और आपदा–संवेदनशील राज्य में आधुनिक, प्रशिक्षित और प्रमाणित स्वास्थ्य मानव संसाधन का विकास बेहद आवश्यक है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पारदर्शी और रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल करते हुए राष्ट्रीय सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम–2021 के तहत उत्तराखण्ड राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद के गठन की प्रक्रिया को तेजी दी है। शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने की।

बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि परिषद के गठन से न केवल शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि देशभर में प्रशिक्षित स्वास्थ्य मानव संसाधन तैयार करने में उत्तराखण्ड अहम भूमिका निभाएगा। परिषद की संरचना, आवश्यकताओं और कार्यप्रणाली पर विस्तृत चर्चा करते हुए यह निर्णय लिया गया कि परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए तलाश–सह–चयन समिति गठित की जाएगी, जो योग्य उम्मीदवारों का चयन करेगी।

स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को परिषद के सुचारू संचालन के लिए प्रारंभिक बजट, कार्यालय संरचना, तकनीकी सहयोग और मानव संसाधन की उपलब्धता तुरंत सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, ताकि परिषद शीघ्र कार्य शुरू कर सके।

वर्तमान में उत्तराखण्ड में पैरामेडिकल शिक्षा पैरामेडिकल अधिनियम–2009 और स्टेट मेडिकल फैकल्टी के माध्यम से संचालित होती है। यहाँ स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 22 विषयों के पाठ्यक्रम चल रहे हैं। राष्ट्रीय अधिनियम लागू होने के बाद इन पाठ्यक्रमों को और अधिक कौशल–आधारित, मानकीकृत और रोजगारोन्मुख बनाया जाएगा। नए अधिनियम में कुल 10 श्रेणियों में 56 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को मान्यता दी गई है, जिससे विद्यार्थियों को व्यापक करियर अवसर और राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर पहचान मिलेगी।

विशेषज्ञों के अनुसार नए अधिनियम के तहत पोषण विज्ञान, स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन, क्लिनिकल साइकोलॉजी, डायलिसिस तकनीशियन, एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन समेत कई आधुनिक विषय जोड़े जाएंगे। इससे राज्य के युवाओं को शोध, निजी और सरकारी क्षेत्र में बेहतरीन अवसर मिलेंगे।

अधिकारियों ने कहा कि यह कदम उत्तराखण्ड को स्वास्थ्य शिक्षा और allied health services के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शामिल करेगा और भविष्य में राज्य एक “हेल्थ एजुकेशन हब” के रूप में उभर सकता है। सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखण्ड गुणवत्ता–आधारित स्वास्थ्य शिक्षा और हेल्थकेयर स्किल डेवलपमेंट का मॉडल राज्य बने और देश को उन्नत स्वास्थ्य मानव संसाधन उपलब्ध कराए।

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