हरिद्वार : (फरमान मलिक) मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हरिद्वार, आकांक्षा कोण्डे ने नारसन विकासखंड के सिकंदरपुर मवाल गांव में “माही स्वयं सहायता समूह” द्वारा संचालित डेयरी और माही मिल्क बार का निरीक्षण किया। यह पहल ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से स्थापित की गई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का एक अनुकरणीय प्रयास है।
“माही स्वयं सहायता समूह” ने ग्रामोत्थान परियोजना और श्री राधे कृष्णा सीएलएफ के सहयोग से दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। समूह की महिलाओं ने बताया कि पहले वे छोटे स्तर पर दुग्ध उत्पादन करती थीं और आर्थिक तंगी के कारण मूलभूत जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल था। वर्ष 2023-24 में इंडियन ओवरसीज बैंक से ₹3,00,000 के ऋण, समूह के ₹1,00,000 और ग्रामोत्थान परियोजना के ₹6,00,000 के अंशदान से व्यवसाय को विस्तार मिला।
वर्तमान में, समूह का दुग्ध उत्पादन 250 लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 450 लीटर प्रतिदिन हो गया है। वे आंचल डेयरी और रुड़की, मंगलौर, मोहम्मदपुर की स्थानीय डेयरियों को 350 लीटर दूध आपूर्ति करते हैं। इसके अलावा, मंगलौर में “माही डेयरी” आउटलेट पर प्रतिदिन 100 लीटर दूध से दही, लस्सी, पनीर, मावा, मक्खन जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं, और 25 लीटर दूध स्थानीय स्तर पर बिकता है। माही मिल्क बार से प्रतिदिन ₹5,000-₹7,000 की आय हो रही है।
आर्थिक विवरण के अनुसार, समूह 450 लीटर दूध ₹50 प्रति लीटर की दर से खरीदता है (लागत ₹22,500) और ₹55 प्रति लीटर की दर से बेचता है (बिक्री ₹24,750), जिससे प्रतिदिन ₹2,250 का सकल लाभ और प्रतिमाह ₹67,500 की आय होती है। परिवहन, लेबर और बिजली खर्च कटने के बाद ₹49,000 का शुद्ध मासिक लाभ प्राप्त हो रहा है। इस आय से समूह की महिलाएं अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर रही हैं, और उनके बच्चे बेहतर शिक्षा व पोषण प्राप्त कर रहे हैं।
सीडीओ आकांक्षा कोण्डे ने समूह की प्रगति की सराहना की और इसे ग्रामीण उद्यमिता का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह मॉडल अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है। निरीक्षण के दौरान जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना, खंड विकास अधिकारी सुभाष सैनी, ग्रामोत्थान परियोजना के प्रतिनिधि और सीएलएफ के सदस्य मौजूद रहे।


