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नई दिल्ली

जमीअत उलमा-ए-हिंद का नया सदस्यता ऐप लॉन्च, 11,000 स्थानीय इकाइयां बनाने का लक्ष्य

Haridwar TimesBy Haridwar TimesFebruary 12, 2025

“ऐप के लॉन्च करते हुए जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने संवैधानिक अधिकारों की प्रतिबद्धता दोहराई, कहा कि किसी भी समुदाय के वर्चस्व को क़बूल नहीं किया जा सकता..

नई दिल्ली : जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने आज जमीअत उलमा-ए-हिंद के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय के मदनी हॉल में संगठनात्मक गतिविधियों को और अधिक मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक “ऐप-आधारित सदस्यता प्रणाली” का उद्घाटन किया। यह ऐप प्ले स्टोर पर “मेंबरशिप ड्राइव ऐप” के नाम से उपलब्ध है, जिसे जमीअत की सदस्यता अवधि 2024-27 के लिए जारी किया गया है।

इस अवसर पर यह घोषणा की गई कि इसके माध्यम से सदस्यता प्रक्रिया को और अधिक सरल, एकीकृत और पारदर्शी बनाया जाएगा।इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के अलावा महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी और सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी एडवोकेट भी उपस्थित थे। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी वर्ग के लिए चाहे वह बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक, एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा अपरिहार्य है। संगठन का प्राथमिक उद्देश्य केवल अपनी पहचान की रक्षा करना ही है, बल्कि भविष्य के लिए मार्ग निर्धारित कर उसे साकार करना भी है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद बदलती परिस्थितियों में और अधिक दृढ़ संकल्पित है और उसके उत्साह में बढोतरी हुई है।मौलाना मदनी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि केवल वही वर्ग सफलता प्राप्त करता है जो अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित रूप से काम करता है। परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, साहस और दृढ़ता ही सफलता की कुंजी हैं। हालांकि वर्तमान समय में अनेक चुनौतियों को सामना है, लोकिन बुद्धिमत्तापूर्ण रणनीति, दीर्घकालिक नीतियों और सतत संघर्ष द्वारा उन पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।

मीडिया के एक सवाल के जवाब में मौलाना मदनी ने कहा कि भारतीय संविधान पर अमल करना और सभी वर्गों के समान अधिकारों की रक्षा प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। किसी भी समुदाय को सर्वपरि रखना स्वीकार्य नहीं है और न्याय की स्थापना ही लोकतंत्र की सच्ची मूल भावना है।

मौलाना मदनी ने आगे कहा कि आशंकाएं और अपेक्षाएं जीवन का हिस्सा हैं। हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अगर परिस्थितियां अनुकूल हों तो अनियंत्रित होने की आवश्यकता नहीं है और अगर प्रतिकूल हों तो निराश होकर बैठने का कोई कारण नहीं है। हमारा रास्ता तूफान, पहाड़ या नदियं नहीं रोक सकतीं। हमने सोच-समझ कर इस देश को अपनी मातृभूमि के रूप में चुना है, यह किसी गलती या चूक का परिणाम नहीं है। हम यह आशा करते हैं कि चाहे केन्द्र की सरकार हो या राज्य सरकार, सभी के साथ न्याय हो और समानता हो, सम्मान और गरिमा की सुरक्षा हो और किसी भी समुदाय या वर्ग की श्रेष्ठता को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। संविधान का उल्लंघन हमें भी स्थिति में स्वीकार नहीं है। संविधान की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जानी चाहिए।

मौलाना मदनी ने इस बात पर जोर दिया कि जमीअत उलमा का मतलब केवल उलमा (धार्मिक विद्वानों) का संगठन नहीं है, बल्कि इसमें सभी वर्गों को शामिल होना चाहिए। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां और सुधार की आवश्यकता है, और जहां विशेषज्ञता की कमी महसूस की जाती है। इसलिए, शिक्षित युवाओं और पेशेवरों को संगठन से जोड़ने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

मौलाना मदनी ने बताया कि सदस्यता की पारंपरिक प्रणाली को बनाए रखते हुए आधुनिक तकनीक का लाभ उठाते हुए ऐप-आधारित सदस्यता प्रणाली शुरू की गई है। यह व्यवस्था गत कार्यकाल में भी थी, लेकिन इस बार इसे और अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाया गया है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि पिछले कार्यकाल में जमीअत उलमा-ए-हिंद की 6,800 स्थानीय इकाइयां थीं, जबकि 20 वर्ष पूर्व यह संख्या केवल 1,700 थी। इसी तरह, सदस्यता संख्या 1.5 मिलियन से बढ़कर 11 मिलियन को पार कर चुकी है। इस बार संगठन ने कम से कम 11,000 वास्तविक इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन उद्देश्य सिर्फ संख्या बढ़ाना नहीं है, बल्कि ऐसी इकाइयां स्थापित करना है जो व्यावहारिक रूप से शैक्षिक, सामाजिक और प्रशिक्षण परियोजनाओं को क्रियान्वित करें।

मौलाना मदनी ने कहा कि स्काउटिंग के साथ युवाओं का प्रशिक्षण, मकतब (पाठशालाएं), प्राथमिक शिक्षा और स्थानीय स्तर पर जन विकास सेवा जैसे कार्यक्रम पहले से ही 98 गांवों में सफलतापूर्वक लागू किए जा चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन का मुख्य उद्देश्य सिर्फ सदस्यता बढ़ाना नहीं है बल्कि एक गतिशील, सक्रिय और व्यावहारिक रूप से संघर्ष करने वाले समूह का गठन है जो दृढ इच्छा शक्ति के साथ व्यावहारिक क्षेत्र में निरंतरता के साथ काम करे।

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