• “हरिद्वार पुलिस के ऑपरेशन कालनेमी ने एक साथ किया इंसाफ और मिलन का चमत्कार..

पिरान कलियर/हरिद्वार: (फरमान मलिक) सावन के पवित्र महीने में जहां कांवड़ियों की भीड़ हरिद्वार की गलियों में उमड़ रही है, वहीं पिरान कलियर पुलिस ने “ऑपरेशन कालनेमी” के तहत एक ऐसी कहानी लिखी, जो कानून के साथ-साथ इंसानियत की मिसाल बन गई। पुलिस ने न केवल तीन बहरूपी बाबाओं को गिरफ्तार कर कांवड़ मेले की शांति सुनिश्चित की, बल्कि 20 साल से लापता एक व्यक्ति को उसके परिवार से मिलाकर आंसुओं भरी खुशी की तस्वीर भी पेश की।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू किए गए ऑपरेशन कालनेमी के तहत, हरिद्वार पुलिस ने सावन कांवड़ मेला 2025 के दौरान विशेष सतर्कता बरती। 14 जुलाई को थाना पिरान कलियर की टीम ने दरगाह और कांवड़ नहर पटरी के आसपास गश्त के दौरान तीन बहरूपी बाबाओं को पकड़ा, जो कांवड़ियों के भेष में तंत्र-मंत्र और जादू-टोना जैसे कृत्यों से लोगों को ठग रहे थे। इन गतिविधियों से मेला क्षेत्र में अशांति और अपराध की आशंका थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों को धारा 172(2) BNSS के तहत गिरफ्तार किया।

20 साल की लंबी तलाश का सुखद अंत
गिरफ्तार बहरूपी बाबाओं में से एक, जितेंद्र (40 वर्ष, निवासी दलपतपुर, थाना बिलारी, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश) की कहानी दिल को छू गई। जब पुलिस ने उससे पहचान पत्र मांगे, तो वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका। संदेह होने पर पुलिस ने गहराई से जांच की और थाना बिलारी, उत्तर प्रदेश से पता चला कि जितेंद्र वर्ष 2005 से अपने परिवार से बिछड़ चुका था। पुलिस ने तुरंत उसके परिजनों से संपर्क किया। यह खबर सुनते ही परिजन, जिन्हें 20 साल से अपने बेटे के जिंदा होने की उम्मीद भी नहीं थी, रातों-रात थाना पिरान कलियर पहुंचे।

जब जितेंद्र और उसके परिवार की मुलाकात हुई, तो वह पल आंसुओं और खुशी से भरा था। परिवार के सदस्यों की आंखों में उम्मीद की किरण और खोए बेटे को देखकर उमड़ा प्यार हर किसी को भावुक कर गया। परिजनों ने हरिद्वार पुलिस को गले लगाकर धन्यवाद दिया और इस अभियान की जमकर तारीफ की। जितेंद्र को उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद परिवार को सौंप दिया गया, जबकि अन्य दो बहरूपी बाबा, जैद (21 वर्ष, निवासी नबाब गंज, सहारनपुर) और रण सिंह (56 वर्ष, निवासी हीरा सिंह, थाना सदर, अंबाला) को न्यायालय में पेश किया जा रहा है।

इंसानियत और कर्तव्य का अनूठा संगम
इस कार्रवाई में थानाध्यक्ष रविंद्र कुमार के नेतृत्व में वरिष्ठ उपनिरीक्षक बबलू चौहान, हेड कांस्टेबल जमशेद अली, कांस्टेबल सचिन सिंह, जितेंद्र सिंह और चालक नीरज की टीम ने अहम भूमिका निभाई। यह ऑपरेशन न केवल कांवड़ मेले की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल रहा, बल्कि एक परिवार को उनके खोए हुए बेटे से मिलाने का पुण्य कार्य भी कर गया।

हरिद्वार पुलिस की यह कार्रवाई साबित करती है कि सख्ती और संवेदनशीलता एक साथ चल सकती है। 20 साल बाद परिवार के बीच में लौटे बेटे की मुस्कान और परिजनों की आंखों में आभार के आंसू इसकी सबसे बड़ी गवाही हैं। यह कहानी न केवल कांवड़ मेले की सुरक्षा की गारंटी है, बल्कि पुलिस के मानवीय चेहरे को भी उजागर करती है।

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