पिरान कलियर : (फरमान मलिक) सूफी परंपरा और गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक साबरी झंडा काफिला शनिवार को बरेली शरीफ से पैदल सफ़र करता हुआ हरिद्वार होकर बढ़ेड़ी राजपूतान पहुंचा। यहाँ जिला पँचायत सदस्य राव आज़म शकील और राव निक्कीराणा के आवास पर स्थानीय लोगों ने फूल-मालाओं से काफिले का भव्य स्वागत किया और साबरी परचम को आगे रवाना किया।
आज काफिला नौगजे पीर रहमतपुर में ठहरेगा और रविवार सुबह ख़त्म शरीफ के बाद पिरान कलियर की ओर रवाना होगा। कलियर शरीफ पहुँचने पर असर की नमाज़ के बाद दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज कद्दूसी साबरी दरगाह के बुलंद दरवाज़े पर परचम कुशाई करेंगे।
समाजसेवी नोमी मियां ने कहा कि सदियों से चली आ रही यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज में मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत की मिसाल भी पेश करती है। उन्होंने कहा—
“साबरी झंडा काफिला हमें यह याद दिलाता है कि इंसानियत सबसे बड़ा मज़हब है। जब लोग अलग-अलग गांव और कस्बों में मिलकर इस परचम का इस्तकबाल करते हैं तो वह केवल सूफी परंपरा को सलाम नहीं करते, बल्कि आपसी भाईचारे और एकता का पैगाम भी आगे बढ़ाते हैं। ऐसे आयोजन समाज को जोड़ने का काम करते हैं और युवा पीढ़ी को मोहब्बत, अमन और इंसानियत की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं।”
भक्ति और भाईचारे का नज़ारा
काफिले में शामिल सूफी संतों और जायरीनों का जगह-जगह गर्मजोशी से स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं ने मिलकर लंगर वितरित किया और अमन-चैन की दुआएँ मांगीं। इस मौके पर यह संदेश दिया गया कि ऐसे काफिले केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज में मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत को बढ़ावा देने वाले हैं।
इबादत और सूफियाना माहौल
नौगजे पीर की दरगाह पर चादर पेश करने के बाद अमन-चैन की दुआ मांगी गई। रातभर इबादत, ज़िक्र-ओ-अज़कार और सूफियाना कव्वालियों का कार्यक्रम चलता रहेगा। दूर-दराज़ से आए जायरीन इस ऐतिहासिक परंपरा के गवाह बने हुए हैं।
कलियर शरीफ की ओर बढ़ेगा काफिला
जानकारी के अनुसार यह काफिला रविवार 24 अगस्त को पिरान कलियर स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह हज़रत साबिर पाक के लिए रवाना होगा। दरगाह शरीफ पर काफिले के स्वागत हेतु विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं और हजारों जायरीन तथा खादिमों के पहुँचने की संभावना है।