Malegaon bomb blast case: (फरमान मलिक) महाराष्ट्र के मालेगांव में 17 साल पहले हुए बम धमाके मामले में आखिरकार फैसला आ गया है. NIA स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. इस पूरे मामले में भोपाल से बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था. ये ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 को हुआ था. कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि NIA तमाम आरोपों को साबित करने में नाकाम रही है.

पीड़ितों के लिए मुआवजा और कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने पीड़ित परिवारों को 2 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया है, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण बात कही, “आतंकवाद का कोई रंग या धर्म नहीं होता।” यह बयान इस केस की संवेदनशीलता और व्यापक संदर्भ को रेखांकित करता है।
NIA कोर्ट ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन ने ये तो साबित कर दिया कि मालेगांव में धमाका हुआ था, लेकिन वे ये साबित करने में नाकाम रहे कि बाइक में बम प्लांट किया गया.

मालेगांव ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत और इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. पूरे मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी. हालांकि साल 2011 में केस एनआईए को सौंप दिया गया था, लगभग 5 सालों की जांच के बाद 2016 में एनआईए ने चार्जशीट दायर की थी.
मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA ने कुल 7 लोगों को आरोपी बनाया था. इसके साथ ही भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था. इसके अलावा कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिलकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकरधर द्विवेदी आरोपी बनाया गया था. कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.
फैसला सुनाते समय कोर्ट ने क्या कहा?
- ATS और NIA की चार्जशीट में भारी अंतर है।
- यह साबित नहीं हो सका कि बम मोटरसाइकिल में रखा गया था।
- प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया।
- यह भी साबित नहीं हो सका कि बम किसने प्लांट किया।
- धमाके के बाद घटना स्थल से साक्ष्य सही ढंग से इकट्ठा नहीं किए गए।
- जांच एजेंसियों के मुताबिक बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी, लेकिन वे बाइक का चेसिस नंबर तक नहीं निकाल पाए।
- सबूतों में गड़बड़ी (contamination) पाई गई।
- गवाहों ने अपने बयान बदल दिए।
- अभिनव भारत संगठन का नाम बार-बार सामने आया, लेकिन मिले पैसों के उपयोग को आतंकी गतिविधियों से जोड़ना साबित नहीं हो सका।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था. उन पर आरोप था कि पूरे ब्लास्ट की प्लानिंग उन्होंने ही की थी. अप्रैल 2017 बॉम्बे हाईकोर्ट ने ब्लास्ट के सातों आरोपियों को जमानत दे दी थी. कोर्ट ने प्रज्ञा को पांच लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. इस पूरे मामले में भोपाल की पूर्व सांसद को करीब 8 साल तक जेल में रहना पड़ा था. अब 17 साल बाद इस पूरे मामले में प्रज्ञा को बरी कर दिया गया है.
Share this



