Uttarakhand Tunnel Rescue Operation : (फरमान मलिक) उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को आज 16वां दिन है. इन 16 दिनों में मजदूरों को बाहर निकालने की तमाम कोशिशें हुई हैं लेकिन हर कोई कोशिश कुछ ही दिनों बार नाकाम हो जाती है. ऑगर मशीन से सुरंग में ड्रिलिंग कर मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशों को शुक्रवार शाम को तब बड़ा झटका लगा जब मशीन मलबे में ड्रिलिंग के दौरान सरियों से टकराकर टूट गई. इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा. अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक नई प्लाज्मा कटर मशीन मंगाई गई है. ये मशीन हैदराबाद से उत्तरकाशी पहुंच गई है.
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उत्तरकाशी के सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए इंतजार और बढ़ता जा रहा है। इस बीच मद्रास सैपर्स, भारतीय आर्मी के इंजीनियरों की एक टुकड़ी को बचाव कार्य के लिए बुलाया गया है। यह टीम उस साइट पर मैनुअल ड्रिलिंग को अंजाम देगी जहां पिछले 15 दिनों से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। इंडियन आर्मी की इंजीनियर रेजिमेंट के 30 जवान सिल्कयारा टनल के पास बचाव कार्य के लिए पहुंच गए हैं। मैनुअल ड्रिलिंग के लिए इंडियन आर्मी और लोग टनल के अंदर रैट बोरिंग करेंगे। एक अधिकारी ने कहा, मैनुअल ड्रिलिंग के लिए इंडियन आर्मी लोगों के साथ मिलकर टनल के अंदर पड़े मलबे को खोद कर बाहर निकालेगी। इसमें हाथ, हथियार और छेनी जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद पाइप के टनल में बने प्लेटफॉरम के जरिए उसे अंदर डाला जाएगा।’
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सेना चलाएगी बचाव अभियान
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वहीं दूसरी ओर अब 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए हाथ से मलबा निकालकर ड्रिलिंग का काम शुरू किया जाएगा. जिसमें पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी. इस काम के लिए भारतीय सेना की ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ के समूह ‘मद्रास सैपर्स’ की एक इकाई को सिलक्यारा बुलाया गया है. जो रविवार को घटनास्थल पर पहुंच गई है. इस इकाई में 20 जवान शामिल हैं. जो स्थानीय लोगों की मदद से सुरंग में रास्ता बनाएंगे. जानकारी के मुताबिक, इस दौरान जवान और स्थानीय लोग हाथों और छेनी हथौड़ा और अन्य औजारों से मिट्टी खोदकर रास्ता बनाने का काम करेंगे. उसके बाद ऑगर मशीन के ही प्लेटफार्म से पाइप को आगे धकेला जाएगा.