देहरादून : उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की महिला ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल दी है। मसूरी के क्यारकुली-भट्ठा गांव की कौशल्या देवी कौशल ने इस गांव को राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई है। स्वच्छता और शुद्ध पेयजल की उपलब्धता में यह गांव देशभर में अग्रणी है। गांव में कौशल्या देवी के प्रयासों से जल संरक्षण व पर्यावरण सरंक्षण के वृहद प्रयास किए गए हैं। हाल ही में गांव की उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कौशल्या देवी सराहना की है। सरकार और सिस्टम का मुंह ताकने वालों को क्यारकुली-भट्ठा गांव की प्रधान कौशल्या देवी रावत आइना दिखा रही हैं। अपने गांव को मूलभूत सुविधाओं से लैस कराने के साथ ही कौशल्या क्षेत्र में जल एवं पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा रहीं हैं।
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मसूरी में क्यारकुली भट्टा गांव देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक छोटे से गांव ने पूरे देश के लिए मिसाल पेश की है. इसमें गांव की प्रधान कौशल्या रावत का सबसे बड़ा योगदान रहा है. देहरादून से 30 किमी दूर मसूरी के क्यारकुली भट्टा की प्रधान ने बिजली-पानी और स्वच्छता को लेकर प्रधान के नेतृत्व में 100 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है.
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बतौर प्रधान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने और स्वच्छता में व्यापक स्तर पर कार्य किया। महज ढाई साल में क्यारकुली-भट्ठा गांव बिजली-पानी से लेकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण में अव्वल है। इसके अलावा गांव की सभी नालियां अंडरग्राउंड हैं और हर घर में शौचालय है। आंगनबाड़ी-स्कूलों आदि में भी बिजली-पानी की समुचित व्यवस्था है। कुछ साल पहले पेयजल के लिए टैंकरों के भरोसे रहने वाले गांव में अब घर-घर में पर्याप्त पानी पहुंच रहा है।
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ग्राम प्रधान कौशल्या रावत का कहना है कि हर काम को शुरू करने में कठिनाई आती है। हमें भी शुरूआत में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन आज जब गांव का नाम देश स्तर पर लिया जाता है तो अच्छा लगता है। इसके लिए वे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का शुक्रिया करना चाहती हैं। फिलहाल तो वे 15 अगस्त को दिल्ली लाल किला में होने वाले कार्यक्रम को लेकर उत्साहित हैं।