पिरान कलियर : (फरमान मलिक) पवित्र दरगाह और गंगा-जमुनी तहज़ीब के प्रतीक पिरान कलियर कस्बे में मोहर्रम को लेकर पिछले कुछ वर्षों से नई रस्मों को शुरू करने के प्रयासों पर अब विवाद गहराता जा रहा है। कस्बे के जिम्मेदार और समझदार तबके के लोगों ने मोहर्रम की पारंपरिक परंपराओं से छेड़छाड़ को लेकर गंभीर चिंता जताई है और थाना पिरान कलियर में प्रार्थना पत्र देकर नई रस्मों पर रोक लगाने की मांग की है।

जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों से कुछ शरारती तत्व मोहर्रम के दौरान नई रस्मों की शुरुआत करने का प्रयास कर रहे हैं। इन नई रस्मों में काले झंडे निकालना, छाती पीटना, अलम निकालना आदि शामिल हैं, जो इस कस्बे की पारंपरिक मान्यताओं और वर्षों पुरानी रवायतों का हिस्सा नहीं रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिरान कलियर कस्बे में मोहर्रम की परंपरा हमेशा से शांतिपूर्ण और सादगीभरी रही है। यहां केवल ताजिया निकालने और खाड़ा (लाठी) खेलने की परंपरा रही है, जो करीब 50 वर्षों से निर्विघ्न रूप से निभाई जाती रही है।

लेकिन हालिया वर्षों में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा नई रस्मों को जबरन थोपने की कोशिशों से क्षेत्र का सौहार्दपूर्ण माहौल बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है। लोगों का मानना है कि यह गतिविधियाँ न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कस्बे के गणमान्य नागरिकों ने प्रशासन से अपील की है कि मोहर्रम के दौरान उन रस्मों को ही अनुमति दी जाए, जो परंपरागत रूप से यहां निभाई जाती रही हैं। साथ ही उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि जो भी लोग जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित प्रार्थना पत्र की जांच की जा रही है और शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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