नैनीताल : (फरमान मलिक) उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मदरसा शिक्षकों के बकाया मानदेय भुगतान में हो रही देरी पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को चार माह के भीतर मामला निपटाने के आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में इस संबंध में सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता पारस सैनी ने बताया कि उन्हें वर्ष 2016 से मानदेय नहीं मिला है।

याचिका में कहा गया कि मदरसा बोर्ड से जुड़े कई शिक्षकों को लंबे समय से भुगतान नहीं हो पा रहा है, जबकि वे लगातार शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सचिव को एक समिति गठित करने और सभी लंबित मामलों का चार माह के भीतर निपटारा करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि समिति में याचिकाकर्ता सहित अन्य प्रभावित शिक्षकों को भी सुना जाए। साथ ही कहा गया कि संबंधित अधिकारी इस विषय में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

मदरसा बोर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार, “मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा योजना” के तहत केंद्र सरकार की 90:10 की हिस्सेदारी होती है। योजना के अंतर्गत शिक्षकों को मानदेय दिया जाता है, लेकिन वर्ष 2016-17 से भुगतान लंबित चल रहा है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाएं और शिक्षकों को राहत प्रदान करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्तर की शिकायतें अधिकारी स्तर पर ही सुलझ जानी चाहिएं, न कि शिक्षकों को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़े।
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