नई दिल्ली. तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. गुजरात हाईकोर्ट के सरेंडर करने के आदेश के खिलाफ तीस्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने की थी. दोनों ही जज इस बात पर सहमत नहीं हो पाए कि जमानत दी जाए या नहीं. गुजरात हाई कोर्ट ने शनिवार को सीतलवाड़ को साल 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने से संबंधित मामले में तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था.
सीतलवाड़ के वकील और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने फैसला किया है कि इस मामले को आगे विचार के लिए उच्च पीठ के समक्ष रखा जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा, “हम भारत के चीफ जस्टिस से इस मामले के लिए एक बड़ी पीठ गठित करने का अनुरोध करते हैं.
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की पीठ ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था. बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद जेल से बाहर हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, चूंकि आवेदक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर है, इसलिए उसे तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है.
सीतलवाड़ और सह-अभियुक्त और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार को पिछले साल 25 जून को गुजरात पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और एक अदालत ने उनकी पुलिस रिमांड समाप्त होने के बाद 2 जुलाई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद वह सितंबर 2022 में जेल से बाहर आईं.
फर्जी दस्तावेज बनाकर साजिश का आरोप
गुजरात दंगों के मामले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व IPS संजीव भट्ट और DGP आरबी श्रीकुमार के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाकर साजिश रचने का मामला दर्ज किया था। संजीव भट्ट पहले से जेल में थे, जबकि तीस्ता और श्रीकुमार को पिछले साल एक साथ गिरफ्तार किया गया था।
गुजरात में 2002 में हुई थी सांप्रदायिक हिंसा
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग लगने से 59 लोग मारे गए थे। ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
गोधरा कांड के अगले दिन, यानी 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे, जो इसी सोसायटी में रहते थे। इन दंगों से राज्य में हालात इतने बिगड़ गए थे कि तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी।