देहरादून : उत्तराखंड बोर्ड के इतिहास में पहली बार 500 में से 500 अंक प्राप्त करने वाली छात्रा प्रियांशी रावत ने 100% अंक हासिल कर इतिहास रचा है। लेकिन यह होनहार बेटी जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसको लेकर बड़ी खबर सामने आई है। दरसल प्रियांशी रावत जिस स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं उसके पास दसवीं बोर्ड की मान्यता ही नहीं है। पिथौरागढ़ के मुख्य शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार के मुताबिक साधना पब्लिक स्कूल की आठवीं कक्षा तक की ही मान्यता है।
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विभाग के अधिकारी शुरुआत में उसे सरकारी इंटरमीडिएट कॉलेज बता रहे थे, लेकिन अब बताया है कि यह अशासकीय विद्यालय है। इसको डमी स्कूल बताया गया है। मामले के संज्ञान में आने के बाद अब शिक्षा विभाग ने प्रकरण पर जांच के आदेश दे दिए हैं। बताया गया कि प्रियांशी ने जिस स्कूल में दाखिला लिया, उसकी दसवीं में मान्यता न होने के कारण उसका रजिस्ट्रेशन किसी दूसरे स्कूल से करवाया गया था। एक तरह से प्रियांशी ने एक डमी स्कूल से बोर्ड की परीक्षा दी थी। हालाँकि अधिकारियों के मुताबिक इन सब में बच्ची का कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि उसने तो परीक्षा पास की है, लेकिन डमी स्कूल के खिलाफ जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
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इस मामले में शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिस विद्यालय से परीक्षा देने को लेकर उनका फॉर्म भरा गया है वह इंटरमीडिएट कक्षा तक मान्यता प्राप्त है। तथा उनके द्वारा जिस स्कूल में पढ़ाई की गई है वह एक डमी स्कूल है।
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बताया गया कि यह स्कूल छात्रा के घर के पास है। जिसके कारण छात्रा इस स्कूल में पढ़ाई कर रही थी। उनका परीक्षा का पंजीकरण दूसरे स्कूल से करवाया गया था। अब फिलहाल शिक्षा विभाग इसकी जांच में जुट गया है। उसके बाद ही असल तथ्य सामने आ पाएंगे। फिलहाल, उत्तराखंड में ऐसे कई स्कूल होने की बात कही गई है जो 10वीं या 12वीं कक्षा तक मान्यता प्राप्त नहीं हैं, इसके बावजूद वह दूसरे स्कूलों से छात्रों का पंजीकरण करवा कर बच्चों का एडमिशन ले लेते हैं।