नई दिल्ली : Patanjali Misleading Ads Case: भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि सेलिब्रेटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी अगर किसी भ्रामक उत्पाद या सेवा का समर्थन करते हैं तो इसके लिए वो भी समान रूप से जिम्मेदार हैं. साथ ही विज्ञापनदाता या विज्ञापन एजेंसियां या एंडोर्सर झूठे और भ्रामक विज्ञापन जारी करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने IMA अध्यक्ष के विवादित बयान पर नोटिस भी जारी किया और 14 मई तक जवाब मांगा है.
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कोर्ट ने कहा कि मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स के लिए किसी उपभोक्ता उत्पाद का समर्थन करते समय जिम्मेदारी से काम करना जरूरी है. केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम का पालन करने का आदेशसुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विज्ञापन जारी करने की अनुमति देने से पहले, केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 की तर्ज पर विज्ञापनदाताओं से एक स्व-घोषणा(self declaration) प्राप्त की जानी चाहिए.
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1994 के कानून का नियम 7 एक विज्ञापन कोड निर्धारित करता है जो कहता है कि किए जाने वाले विज्ञापनों को देश के कानूनों के अनुरूप डिजाइन किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को भ्रामक विज्ञापनों और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा उनके खिलाफ की गई या प्रस्तावित कार्रवाई से अवगत कराने का भी निर्देश दिया.
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पीठ ने कहा कि सेलिब्रिटीज और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स के द्वारा किया गया समर्थन उत्पादों को बढ़ावा देने में बहुत मददगार होता है और विज्ञापन के दौरान किसी भी उत्पाद का समर्थन करते समय जिम्मेदारी के साथ काम करना और उसकी जिम्मेदारी लेना उनके लिए जरूरी है. पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये बात कही है और आदेश जारी किया है.