दिल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. जिस हिसाब से देश और दुनिया में दिल की बीमारियां बढ़ रही है, उसी हिसाब से कार्डिएक अरेस्ट के मामले भी रफ्तार पकड़ रहे हैं. कई वजहों से दिल की धड़कन का बंद हो जाना कार्डिएक अरेस्ट कहलाता है. इस स्थिति में दिल, दिमाग और फैफड़ों के साथ साथ शरीर के बाकी जरूरी हिस्सों में रक्त की सप्लाई रुक जाती है और कुछ ही पलों में अगर प्राथमिक इलाज ना मिले मरीज की जान जा सकती है. कार्डिएक अरेस्ट के मामले में प्राथमिक उपचार में सबसे पहले CPR का नाम आता है और मरीज को बचाए रखने में ये प्रोसेस बहुत ही मददगार साबित होती है.
CPR का मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन
इस प्रोसेस में अगर मरीज को कार्डियक अरेस्ट आया है तो वहीं उसी स्थान पर बिना देर किए मरीज की छाती को बार बार पंप किया जाता है यानी हथेलियों से छाती को तेज तेज दबाया जाता है ताकि दिल पंप कर सके और दिल में जो भी ब्लड है वो दिमाग और बाकी शरीर में पहुंच पाए. इससे उस समय मरीज जान बचाए रखने में आपातकालीन मदद मिलती है. CPR के दूसरे प्रकार में रोगी के मुंह में अपने मुंह से सांस यानी ऑक्सीजन दी जाती है. कुल मिलाकर CPR कार्डियक अरेस्ट में रोगी डॉक्टरी मदद आने तक बचाने की जद्दोजहद है.
कार्डिएक अरेस्ट में CPR बचा सकता है जान
आपको बता दें कि कार्डिएक अरेस्ट के दौरान सही तरह से सीपीआर दी जाए तो रोगी की जान बच सकती है. डॉक्टर कहते हैं कि कार्डिएक अरेस्ट में प्रॉपर ब्लड सर्कुलेशन ना हो और दिमाग को आठ मिनट से ज्यादा वक्त तक रक्त ना मिले और रोगी ब्रेन डेड हो सकता है. ऐसी स्टेज में सीपीआर सबसे प्रभावी साबित होता है क्योंकि ये दिल को पंप करता है और कम ही सही लेकिन दिमाग तक रक्त पहुंचाने में मदद करता है.
दिल के दौरे में जरूरी नहीं है सीपीआर
कार्डिएक अरेस्ट से अलग अगर दिल का दौरा पड़ा है तो वहां सीपीआर की जरूरत नहीं पड़ती है. इसमें रोगी बात करता है और सांस लेने के काबिल होता है तो उसे आसानी से अस्पताल लेकर जाया जा सकता है, इसमें ब्रेन डेड की नौबत नहीं आती, इसलिए इस दौरान सीपीआर की जरूरत नहीं पड़ती है.