नई दिल्ली : (फरमान मलिक) : दिल्ली के द्वारका में शुक्रवार को हुई सनसनीखेज डकैती के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। लुटेरा गिरोह के सदस्यों ने खुद को ईडी अधिकारी बताकर एक व्यक्ति का अपहरण करने के बाद उससे 3 करोड़ रुपये लूट लिए थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान हरियाणा के गोहाना निवासी अमित उर्फ जॉली, रोहित उर्फ अश्विन और दिल्ली के बवाना निवासी मनीष के रूप में हुई।
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पुलिस के मुताबिक, गोपाल नगर में रहने वाले शिकायतकर्ता रवि ने बताया कि शुक्रवार को रात करीब 8 बजे वह अपने घर के पास मुख्य सड़क पर खड़ा था, तभी अचानक एक सफेद कार आई।
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लुटेरों ने किया था झूठा दावा, कहा- यह ईडी की छापेमारी थी
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “तीन अज्ञात व्यक्ति कार से निकले और प्रवर्तन निदेशालय से होने का दावा करते हुए रवि को जबरन वाहन में बिठा लिया और उसका अपहरण कर लिया।” दो अन्य व्यक्ति दूसरी कार में पहुंचे और रवि पर पिस्तौल तान दी और धमकी देते हुए मांग की कि वह अपनी संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धन को सरेंडर कर दे। कहा, ”उन्होंने आरोप लगाया कि यह पैसा अवैध गतिविधियों से जुड़ा है।” इसके बाद वे रवि को उसके आवास पर वापस ले आए और 3 करोड़ 20 लाख रुपये की बड़ी नकदी के साथ रवि और उसकी मां के मोबाइल फोन ले गए।
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लुटेरों ने झूठा दावा किया कि यह ईडी की छापेमारी थी। कहा, “इसके बाद उन्होंने रवि को मुख्य सड़क पर भारत पेट्रोल पंप के पास छोड़ दिया और घटनास्थल से भाग गए।” बाबा हरिदास नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज होने के बाद व्यापक जांच शुरू की गई, जिसके बाद नरेला पुलिस ने एक आरोपी अमित की पहचान की और उसे गिरफ्तार कर लिया। कहा, ”अमित पर शस्त्र अधिनियम (धारा 25/27) के तहत आरोप लगाया गया और उसके पास से लगभग 70 लाख रुपये पाए नकद, एक अवैध पिस्तौल और अपराध को अंजाम देने में इस्तेमाल की गई एक कार बरामद की गई।” अमित से पूछताछ और सूत्रों से मिली जानकारी के बाद मामले में एक और आरोपी रोहित को शनिवार रात पकड़ लिया गया।
अब तक 1 करोड़ 27 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है- वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
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अधिकारी ने कहा, “अमित और रोहित द्वारा पूछताछ के दौरान दी गई जानकारी के आधार पर शेष संदिग्धों का पता लगाने और चुराए गए धन को बरामद करने के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया था।” कहा, “समर्पित टीमों के व्यापक प्रयासों के बाद सह-अभियुक्तों में से एक, जिसका नाम मनीष है, को पकड़ लिया गया और उसके कब्जे से लूटी गई धनराशि में से लगभग 57 लाख रुपये बरामद किए गए।” साथ ही घटना को अंजाम देने में प्रयुक्त वाहन भी बरामद कर लिया गया। कुल मिलाकर अब तक 1 करोड़ 27 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “अन्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है, जो फरार हैं।”
इस घटना ने एक बार फिर अपराधियों द्वारा अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सरकारी एजेंसियों के नाम का इस्तेमाल करने की चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर कर दिया है।