Ramadan 2023 : रमजान का बरकत वाला पाक महीना शुरू हो गया है। इस महीने में खुदा रोजेदार पर अपनी रहमतों की बारिश करता है। वहीं यह महीना भाईचारे और इंसानियत का पैगाम भी देता है। रोजा सिर्फ दिनभर भूखा रहने का नाम नहीं बल्कि रोजा इंसान को इंसान से प्यार करना सिखाता है। वहीं रोजा गरीब भाइयों से मोहब्बत करने का जज्बा पैदा करता है। भूखे प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने वालों के गुनाह माफ हो जाते हैं।
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इस माह रमजान के बारे में मास्टर तालिब जी ने बताया कि रोजा अच्छी जिंदगी जीने का तरीका है। इसमें इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इंसान का जमीर रोजेदार को एक नेक इंसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी हर बात की तरबियत देता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की कहानी भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के इर्द गिर्द घूमती है। रोजा इन तीनों चीजों पर सब्र रखने का पैगाम है। रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख, दर्द और भूख, प्यास को समझने का महीना है ताकि रोजेदारों में भले बुरे को समझने की सलाहियत पैदा हो।
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अन्सरियां मस्जिद के इमाम मौलाना साजिद जी ने बताया कि रहमत और बरकत के नजरिए से रमजान के महीने को तीन हिस्सों (अशरों) में बांटा गया है। इस महीने के पहले 10 दिनों में अल्लाह अपने रोजेदार बंदों पर रहमतों की बारिश करता है। दूसरे अशरे में अल्लाह रोजेदारों के गुनाह माफ करता है और तीसरा अशरा दोजख की आग से निजात पाने की इबादत का जरिया बताया गया है।
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रमजान में करो बेसहारा की मदद..
रमजान में कुरान की तिलावत, नमाज की अदायगी, एतिकाफ, फितरा देना, इफ्तार और सहरी की तैयारियां आम होती हैं। इन 30 दिन के रोजों में मुसलमान इन इबादतों को कर अल्लाह के नजदीक पहुंचने के लिए उन्हें याद करता है। इस दौरान गरीबों और मजलूमों की मदद करना भी रमजान की अहम इबादतों में से एक है। इसमें जरूरतमंदों की मदद करना इस्लाम मजहब का खास संदेश है।