सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अग्निपथ योजना (Agneepath) के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी. योजना के तहत चार साल की अवधि के लिए तीनों सशस्त्र बल डिवीजनों में युवाओं को शामिल करने की बात कही गई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह योजना मनमानी नहीं है.
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अधिवक्ता एम.एल. शर्मा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि इसे संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए और इसे एक योजना के रूप में नहीं लाया जाना चाहिए था. शर्मा ने कहा, मेरा सवाल बस इतना है कि जब तक संसद इसे मंजूरी नहीं देती, ऐसा नहीं किया जा सकता.
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शर्मा की दलीलें सुनने के बाद, खंडपीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने याचिका खारिज कर दी. फरवरी में, दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसे राष्ट्रीय हित में पेश किया गया है.
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